माँ सुनो तुम्हारे आँसू
नहीं ललकार चाहिए,
देश को बचाने की पुकार चाहिए,
मुझे तुम्हारे हाथों से तलवार चाहिए|
अक्षय-निर्भय पूतों कीमत भूलो तुम माता हो,
जिनके सीने से अक्सरतूफ़ान ही टकराता हो|
इन वीरों को माँ तेरी यलगार चाहिए|
कर तिलक हमारे माथे पर,
हाथों में तुम शस्त्र दो,
कर दूँ शत्रु धराशायी एक क्षण में,
मुझको वह ब्रह्मास्त्र दो,
माँ तेरी एक बार मुझे फुफकार चाहिए|
शूरवीरों का मस्तक,
झुका कोई क्या पता है,
तेरे चरणों के सिवा माँ,
अपना कौन विधाता है,
इन चरणों की माँ हमे रफ़्तार चाहिए|
तुम हो माता शूरवीर की,
भावुकता का त्याग करो,
रग-रग में तुम मातु हमारे,
तेज़ लपट की आग भरो,
तुम्हारी आँखों से ज्वाला-अंगार चाहिए|
नहीं लजाऊँ दूध तुम्हारा,
रिपु की छाँव जो पड़ जाये,
कर दूँ छिन्न-भिन्न मै उसको,
अगर पाँव भी दिख जाये,
मुझे तुम्हारी इच्छा का गुबार चाहिए|
एक हाथ तोड़ मैं उसके,
दूजे में रख जाऊँगा,
मस्तक होगी पड़ी धरा पर,
धड़ स्वान तक पहुँचाऊँगा,
एक बार तुम्हारे हुक्म का उद्गार चाहिए|
ममता के आँचल से माता,
अब हमको तुम मुक्त करो,
बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी,
शास्त्रों से संयुक्त करो,
पन्ना जैसे मोह का तिरस्कार चाहिए|
तुम शक्ति दुर्गा की,
चामुण्डा भी तुम्हीं हो माँ,
राजपूताने की पद्मिनी हो,
लक्ष्मीबाई तुम्ही हो माँ,
तुम्हारे भीतर सुनामी-सा अब ज्वार चाहिए|
देश को बचाने की पुकार चाहिए,
मुझे तुम्हारे हाथों से तलवार चाहिए|
अक्षय-निर्भय पूतों कीमत भूलो तुम माता हो,
जिनके सीने से अक्सरतूफ़ान ही टकराता हो|
इन वीरों को माँ तेरी यलगार चाहिए|
कर तिलक हमारे माथे पर,
हाथों में तुम शस्त्र दो,
कर दूँ शत्रु धराशायी एक क्षण में,
मुझको वह ब्रह्मास्त्र दो,
माँ तेरी एक बार मुझे फुफकार चाहिए|
शूरवीरों का मस्तक,
झुका कोई क्या पता है,
तेरे चरणों के सिवा माँ,
अपना कौन विधाता है,
इन चरणों की माँ हमे रफ़्तार चाहिए|
तुम हो माता शूरवीर की,
भावुकता का त्याग करो,
रग-रग में तुम मातु हमारे,
तेज़ लपट की आग भरो,
तुम्हारी आँखों से ज्वाला-अंगार चाहिए|
नहीं लजाऊँ दूध तुम्हारा,
रिपु की छाँव जो पड़ जाये,
कर दूँ छिन्न-भिन्न मै उसको,
अगर पाँव भी दिख जाये,
मुझे तुम्हारी इच्छा का गुबार चाहिए|
एक हाथ तोड़ मैं उसके,
दूजे में रख जाऊँगा,
मस्तक होगी पड़ी धरा पर,
धड़ स्वान तक पहुँचाऊँगा,
एक बार तुम्हारे हुक्म का उद्गार चाहिए|
ममता के आँचल से माता,
अब हमको तुम मुक्त करो,
बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी,
शास्त्रों से संयुक्त करो,
पन्ना जैसे मोह का तिरस्कार चाहिए|
तुम शक्ति दुर्गा की,
चामुण्डा भी तुम्हीं हो माँ,
राजपूताने की पद्मिनी हो,
लक्ष्मीबाई तुम्ही हो माँ,
तुम्हारे भीतर सुनामी-सा अब ज्वार चाहिए|
sir aachi kavita hai. padhne ke baad ander se patriotic feeling aa gayi..
जवाब देंहटाएंBEST OF LUCK! sir