शब्द समर

विशेषाधिकार

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30.6.24

बीता-रीता मैं

कभी-कभी लगता है,
करूँ सम्वाद उन लोगों से,
जो थे मेरे निकटवर्ती कभी|
किन्तु उनकी व्यस्तताएँ,
दैनिक प्राथमिकताएँ
और मुझसे बात करने की उनकी अनिच्छा
रोक देती है मुझे|

वैवाहिक कार्यक्रमों में
पचास जन मात्र ही होंगे सम्मिलित”
वाले नियम में,
सम्भवतः उनकी सूची में मैं,
बहुत पीछे आता हूँ कहीं|

लोग रहते हैं आलिंगित
वर्तमान के प्रेम,
और भविष्य के दिवा-स्वप्न से,
किन्तु भयभीत रहते हैं भूत से|

मैं उनके भूत में
बीता और रीता हुआ हूँ,
और रीते हुए समय के लिए,
कोई अपना समय नष्ट नहीं करता|

25.6.24

आजकल तुम पीने लगे बहुत

आजकल तुम पीने लगे बहुत
कोई ग़म है, या रुमानियत है कोई?

बड़ी ख़ामोशी रहती है ज़ुबाँ पर
हमराज़ नहीं है, या रिवायत* है कोई?

नज़रें मिलाने से नज़र काँपती है
मुझे धोखा है, या असलियत है कोई?

हथेली पर तुमने लिखा कुछ ख़ून से
ये ख़त है, या वसीयत है कोई?

दूर रहने लगे हो अब तुम बज़्म से
डरते हो रक़ीब से, या ख़ासियत है कोई

सुना कि मय करता है दूर दर्द-ए-दिल
ये घुट के मरना है, या हक़ीक़त है कोई?