हालात बिगड़ गये मुझसे
कितने बिछड़ गये मुझसे 
बहारों ने यूँ किनारा किया
लिपट गये पतझड़ मुझसे 
आँखें रहीं उनीदी ही
ख़्वाब गये उजड़ मुझसे 
हाथ, हाथ से दूर है
रिश्ते गये उखड़ मुझसे
रेत-सी रिस गईं साँसें
ढीली हुई पकड़ मुझसे
उमीदों को भी नाउमीदी है
किस्मत गई है लड़ मुझसे